Tuesday, January 11, 2011

तिरंगा गुटखे का नाम बदलने के लिए आजाद पुलिस का संघर्ष

आजाद पुलिस ब्रह्म पाल सालों से पुलिस प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और दहेज पोलियो जैसी सामाजिक मुद्दों पर अपना अथक संघर्ष कर रहे हैं... इसी क्रम में आज़ाद पुलिस द्वारा  तिरंगे के नाम पर तिरंगा गुटखा का नाम बदलने और तिरंगे के नाम पर इस तरह की नशीली चीज़ों का नाम रखने की अनुमति न दिए जाने को ले कर काफी समय से प्रशासन को सैकड़ों पत्र लिखा जा चुका है लेकिन प्रशासन द्वारा इस सम्बन्ध में न तो कोई  सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है और न लिखे गए प्रार्थनापत्रों का कोई जवाब दिया गया है. 

सरकार और प्रशासन की बंद आँखों को खोलने और तिरंगे की अस्मिता की रक्षा के लिए आज़ाद पुलिस द्वारा दिनांक १४-१२-२०१० को जिलाधिकारी गाज़ियाबाद को एक पत्र लिखा गया था जिसमे कहा गया था कि एक गुथ्खे का नाम तिरंगे के नाम पर रखने से तिरंगे को ले कर गलत सन्देश जाता है. अतः तिरंगा गुटखे पर तत्काल रोक लगनी चाहिए जब तक कि इसका नाम तिरंगे से बदल कर कुछ और न किया जाय. अन्यथा दिनांक ११-०१-२०११ को गाज़ियाबाद जिलाधिकारी के कार्यालय के सामने उपवास कर अपना विरोध दर्ज कराएगा लेकिन इस पर भी प्रशासन द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. 

इस कारण ब्रह्मपाल ने दिनांक ११-०१-११ को जिलाधिकारी के कार्यालय पर दिन भर का उपवास कर अपना विरोध दर्ज करवाया और एक और ज्ञापन दिया कि यदि इसके बावजूद भी प्रशासन तिरंगा गुटखे का नाम परिवर्तन कराने में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाती है तो चेतावनी दी जाती है कि छब्बीस जनवरी २०११ को जिलाधिकारी कार्यालय पर तिरंगे की जगह काला झंडा फहराने की कोशिश करेगा क्योंकि प्रशासन में किसी भी तरह तिरंगे को ले कर इज्जत नहीं है. इसी लिए प्रशासन को तिरंगा फहराने का कोई अधिकार नहीं है. इसके अतिरिक्त यह भी लिखा कि यदि प्रार्थी के प्रति कोई अनहोनी या दुर्घटना होती है तो उसके लिए प्रशासन कफन न खरीदे क्योकि आज़ाद पुलिस ब्रह्मपाल ने पहले ही सोलह विभागों में अपना कफ़न जमा करवा दिया है. या तो आज़ाद पुलिस को तिरंगे की अस्मिता के लिए न्याय दिया जाय अथवा उसपर प्रशासन को कफ़न डालने की तैयारी कर लेनी चाहिए. 


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