Wednesday, December 22, 2010

मुंबई पुलिस का चालान काटेगी आज़ाद पुलिस

 

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आपने पिछली पोस्ट में पढ़ा कि आज़ाद पुलिस की विचारधारा क्या है. अपने मामूली इंसान से आज़ाद पुलिस बनने तक की कहानी बताने के लिए मुझे कई पोस्टें चाहिए, आप आजाद पुलिस के बारे में संक्षिप्त विवरण इन जगहों पर पढ़ सकते हैं

आज़ाद पुलिस संघर्ष गाथा-१,

 आज़ाद पुलिस संघर्ष गाथा- २

आज़ाद पुलिस (संघर्ष गाथा –३)

पिछलेलगभग   दस सालों में गाज़ियाबाद के समाचार पत्र आज़ाद पुलिस के बारे में यदा कदा छापते रहे हैं लेकिन पिछले दिनों भाई पद्म सिंह जी का मिलना मेरे लिए दुनिया से जुड़ने का नया दरवाज़ा खोल गया. उन्होंने मेरी कहानी इंटरनेट पर जब से डाली मेरी बात अब एक शहर तक सीमित न होकर पूरी दुनिया तक पहुंची है. आज़ाद पुलिस की कहानी पढ़ने के बाद कई महानुभावों ने फोन कर के उत्साहवर्धन किया . जय कुमार झा जी स्वयं मिलने आये और आजाद्पुलिस के ईमानदार प्रयासों को देखा परखा तथा प्रशस्तिपत्र सहित पाँच सौ रूपये से उत्साहवर्धन किया. आज़ाद पुलिस की ये बेबसाईट भी इन्हीं मित्रों के सहयोग से बनवाई है. 

आज़ाद पुलिस का संघर्ष पुलिस और प्रशासन की सीधे सादे लोगों पर हो रहे अत्याचार शोषण और भ्रष्टाचार के विरूद्ध चलती रहेगी.  साथ ही अन्य सामाजिक सरोकार के मुद्दे इस मंच से उठाए जाते रहेंगे. इसमें मेरे साथ मेरे अन्य सहयोगियों द्वारा लगातार प्रोत्साहन मिल रहा है. इसी सम्बन्ध में पुलिस की लापरवाही, भ्रष्टाचार के विरूद्ध तथा पुलिस व्यवस्था में सुधार हेतु आवश्यक ध्यानाकर्षण हेतु आजाद्पुलिस २१ मई २०११   को अपने रिक्शे सहित मुंबई जाकर मुंबई पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार और मौलिक कमियों को उजागर करने का प्रयास करेगी. इस सम्बन्ध में मुंबई पुलिस की कमियों को उजागर करना, पुलिस द्वारा सुरक्षा आदि के बारे में की जा रही लापरवाही को सामने लाना और लापरवाह पुलिसकर्मियों का चालान करना आदि शामिल है.

मुंबई में रहने वाले सभी नागरिकों, मित्रों और अधिकारियों से अपील है कि वे आज़ाद पुलिस की इस मुहिम में अपना सहयोग बनाए रखें.

आजाद्पुलिस से संपर्क करें - azadpolice@gmail.com

Tuesday, December 14, 2010

आज़ाद पुलिस ... एक विचारधारा

आज़ाद पुलिस...

भारत में जहाँ शासन प्रशासन और बहुत सारे  विभाग आज भ्रष्टाचार के दलदल में नाक तक धंसे हुमें हैं वहीँ आम जनता की लापरवाही और उदासीनता इनके निर्बाध विकसित करने में सहायक रही है... जहाँ की पुलिस लाल फीताशाही और राजनीतिक दबाव  की गलघोंटू चक्कियों के बीच पिस रही है वहीँ भ्रष्टाचार का दीमक भी इसे चाट रहा है. आज आम जन की सुरक्षा व्यवस्था ईश्वर के भरोसे ही है...
भारत का संविधान ... जनता द्वारा, जनता को जनता के लिए ...किन्तु जनता द्वारा दिया गया संविधान क्या वास्तव में जनता के लिए है अथवा शक्तिशाली बाहुबलियों और नेताओं को बचाने और दलित और आम जनता को शोषित करने के लिए है ...

आज आम जनता को यह समझना होगा कि जिस सत्ता को अपनी सुरक्षा, अपने विकास की बागडोर थमाई है अगर वह अपनी कसौटी पर खरी नहीं उतरती है, तो उस सत्ता को वापस लेने का अधिकार भी आम जन को होना चाहिए... जनता कब तक अपने ही हथियारों से घायल होती रहेगी ?

आज आवश्यकता है हर व्यक्ति को समाज,देश और संस्कृति के हित में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करना होगा ...और जहाँ प्रशासन अक्षम हो वहाँ पुलिस की भूमिका में आम इंसान, आम जनता को आगे आना होगा ... तमाम प्रशासनिक और सामाजिक शोषण के शिकार होते हुए भी अपनी जिजीविषा और आत्मबल को साक्षी मानते हुए किसी जोर ज़ुल्म के सामने घुटने न टेकने और संघर्ष करते रहेने की विचारधारा को आधार मान कर आज़ाद पुलिस का जन्म हुआ है ...


ये वो पुलिस है जिसेकिसी राजनैतिक का  दबाव, किसी लालफीताशाही कर दर, अथवा किसी आर्थिकउत्कोच कर लालच है...आज़ाद पुलिस इन सभी कुरीतियों से दूर, समाज, राष्ट्र और शासन प्रशासन की आँख कान बनने के लिए कृत संकल्प है...

जय हिंद !!!