आज़ाद पुलिस की वर्षों संघर्ष का कोई निष्कर्ष नहीं निकला.... हज़ारों चिट्ठियाँ राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और तमाम प्रशासनिक अधिकारियों को लिखने के बावजूद भी किसी समस्या पर आज तक सुनवाई नहीं की गयी... तिरंगा नाम के गुटखे के पाउच पर "तिरंगा" झंडे का निशान तिरंगे का सरासर अपमान है... आज़ाद पुलिस की ओर से यह मुद्दा कई वर्षों से उठाया जा रहा है परन्तु आज तक इस कंपनी पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं की गयी...आज भी तिरंगे के नाम पर गुटखा सरे बाज़ार बिक रहा है और लोग गुटखा खा कर तिरंगे पर थूक रहे हैं... इस सम्बंध मे सैकड़ों पत्र हर बड़े अधिकारी यहाँ तक कि मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तक लिखे जा चुके हैं लेकिन गुटखे का नाम बदलने की तो बात दूर गुटखा कंपनी के लिए एक चिट्ठी तक नहीं लिखी गयी।
दूसरा मुद्दा है आज़ाद पुलिस के आवास का, जो जीडीए द्वारा एलाट भी है, किश्तें भी भरी जा रही हैं पर जीडीए ने कुछ लोगों को अवैध कब्जा दे रखा है और आज़ाद पुलिस को सामुदायिक बारात घर मे रहना पड रहा है।
इन सब मुद्दों पर सरकार से और जीडीए से तमाम अनुरोध किए जाने के बाद भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला है और न ही कोई उचित कार्यवाही की गयी है।
प्रशासन की इस अनदेखी और संवेदन हीनता के खिलाफ आज़ाद पुलिस ने इस बार जबर्दस्त विरोध करने का मन बनाया है.. जिसकी सूचना सभी संबन्धित और बड़े अधिकारियों को दे दी गयी हैं... अगर प्रशासन इन मुद्दों पर अब भी नहीं जागा तो फिर 30 मई को आज़ाद पुलिस जूतों की माला पर उच्चाधिकारियों के नाम लिख कर और गले मे जूतों की माला डाल कर विरोध प्रदर्शन करेगा। इस के लिए प्रशासनिक अधिकारी पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।
3 comments:
सही है लातों के भूत कभी बातों से नहीं मानते...समय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/
गरीबों के साथ इस देश में कहाँ न्याय होता है|
ऐसा ही एक मामला अभी राजस्थान में प्रकाश में आया जहाँ एक लाचार गरीब परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ इसलिए नहीं लेने दिया कि वह सरपंच, विधायक और प्रशासनिक कर्मचारियों की जाति का नहीं था|
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