Tuesday, December 14, 2010

आज़ाद पुलिस ... एक विचारधारा

आज़ाद पुलिस...

भारत में जहाँ शासन प्रशासन और बहुत सारे  विभाग आज भ्रष्टाचार के दलदल में नाक तक धंसे हुमें हैं वहीँ आम जनता की लापरवाही और उदासीनता इनके निर्बाध विकसित करने में सहायक रही है... जहाँ की पुलिस लाल फीताशाही और राजनीतिक दबाव  की गलघोंटू चक्कियों के बीच पिस रही है वहीँ भ्रष्टाचार का दीमक भी इसे चाट रहा है. आज आम जन की सुरक्षा व्यवस्था ईश्वर के भरोसे ही है...
भारत का संविधान ... जनता द्वारा, जनता को जनता के लिए ...किन्तु जनता द्वारा दिया गया संविधान क्या वास्तव में जनता के लिए है अथवा शक्तिशाली बाहुबलियों और नेताओं को बचाने और दलित और आम जनता को शोषित करने के लिए है ...

आज आम जनता को यह समझना होगा कि जिस सत्ता को अपनी सुरक्षा, अपने विकास की बागडोर थमाई है अगर वह अपनी कसौटी पर खरी नहीं उतरती है, तो उस सत्ता को वापस लेने का अधिकार भी आम जन को होना चाहिए... जनता कब तक अपने ही हथियारों से घायल होती रहेगी ?

आज आवश्यकता है हर व्यक्ति को समाज,देश और संस्कृति के हित में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करना होगा ...और जहाँ प्रशासन अक्षम हो वहाँ पुलिस की भूमिका में आम इंसान, आम जनता को आगे आना होगा ... तमाम प्रशासनिक और सामाजिक शोषण के शिकार होते हुए भी अपनी जिजीविषा और आत्मबल को साक्षी मानते हुए किसी जोर ज़ुल्म के सामने घुटने न टेकने और संघर्ष करते रहेने की विचारधारा को आधार मान कर आज़ाद पुलिस का जन्म हुआ है ...


ये वो पुलिस है जिसेकिसी राजनैतिक का  दबाव, किसी लालफीताशाही कर दर, अथवा किसी आर्थिकउत्कोच कर लालच है...आज़ाद पुलिस इन सभी कुरीतियों से दूर, समाज, राष्ट्र और शासन प्रशासन की आँख कान बनने के लिए कृत संकल्प है...

जय हिंद !!!

3 comments:

शिवम् मिश्रा said...

हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है !

जिस मकसद से आपने यह ब्लॉग शुरू किया है ... दुआ करता हूँ वह जरूर पूरा हो !

जय हिंद !!

US said...

Jai Hind.... You rock mamu!!!

ManPreet Kaur said...

nice post..
mere blog par bhi kabhi aaiye waqt nikal kar..
Lyrics Mantra

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